पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२०३

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दिम देयकल ] पूर्यत किया । ३ राम--(६३०) चन्द्रलाल गोस्वामी राधाबड़भी । इन्।—(१) वृन्दावन प्रकाशमाला, (२) उत्कंठा माधुरी,१३) भगध- सारपग्री ता, ) घृन्दावनमहिमा, (५) भावनातुरधिनी, (६) अभिलापबत्तीसी, १७) समयपरलो (८) स्फुट कविता, (५) समयमयेध (१०) भावनापचौथी। चाफा–१६६७ ।। विघागरधर थे ण ।। नाम-(६ ३. ५) रिसेवक केशवदास के भाई फानदास के छ । अन्ग-(१) कामरूप की कथा, (३) दनुमान जी की स्तुति । कविताफा–१९७७।

  • विवरण-मार पूर्वीसिंह महाराज उदयसिंह बलुछा-नरेश फे

यद्द थे। नाम--(६३३) जगन्नाथदास । अन्य--१) मनबत्तीसी प गुरुनदिमा, (२) गुरुचरित्र । कविताकाल—१६८। विवरण--तुलसीदास की शिष्य-परपरा में थे। नाभ-(६३३) भड़चकिशोर । फचिताकाल-११३८ । खबर सादर कचि ! बहादुर शाह के यहाँ थे। नाम-(६३४) प्रिया सुय बस्त्रत हूँ यार महारानी ।