पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२०५

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६५३ दम देपाल ] दाँत राय । एमाल-१७६०|| कविताकाल–१७५० । वार-भाधारण ४ी । इन्नै श्रीधर के साथ रस- | चिनाद थमाया । ममि (६०) रविदत्त । हुन्नकाल–१७४२। थिलका-६७$e | निवर–साधारण श्रेणी । चौबीसवाँ अध्याय । । माध्यमिक देवकाल (१७७१ से १७९० तक)। ( ६ ४ १ ) घनानन्द । ये महाशय जाति के कायस्थ दिल्ली वासी थे ! नादेशाद् द्वारा मथुरा निजग के समय सवत् १९,६ में में मारे गये । इनका कविताका सबस् १७७६ से ११६ तक समझना चाहिये । इन्होंने सुज्ञानसागर, वासार, घनानन्द कवि, रचलिङ्गी और कृपावाई पक्व नामक ग्रन्थ बनाये, जे घाण में मिले हैं। सरदार कवि ने अपने स्वप्न में इनके प्रायः डैद । छन्द लिने हैं। और इनके ४२५ छन्दों का एक फुट संग्रह प्रकार हमने देखा है। इनके अतिरिक्त इम इनया ५४२ वर्दै पृष्ठों का एक भारी प्रध