पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२१२

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| मिध्वः । [सं० १९३८ चार कविता मदांसनीय है। इन्होंने अनेक ग्रन्थ बनाये ६ नाम। मोचे हिने जाते हैं :- (१) अष्टयाम का अफि, (३) आनन्द रघुनन्दन नाट्य, () उत्तम हायपदाश, (४) तारगुनन्दनतिर, (५) माया, (६) तोरघुनन्दनप्रमाणिक, (७) सर्चपद, (८) कवर के निक की दीका, (६) विनयपत्रिका फी टी, १०) रामचन्द्र श्री सन्नारी, (११) भजन, (१३) पदा, (१३) प्रबिया, (१४) परागीयनव- प्रकाश, (१५) आनन्द रामायत, (१६) परमधमैनिय, (१७) शांतिशतव, (१८) वेदान्तपंचकति, (१९) गीतपिढी पूर्वाध, (५२) भू.बष्ट', (२१) उत्तम नीतिचन्द्रिकम, (५२) अवधिनीति, (२३) पानी , (२४) आदिमंगळ, (२५) घलत, (६) चीता, () चौसा रमैनी, (५) फहरा, (२९) शब्द, (३०) विभ्यः । भानप्रसाद ।। आपका फेवल एक कधिच दिया जाता है, भिसते येता- चमकर मफट हैं। उदाइन्छ । बाङी राज सैर रथ मुहुर कलारे ते प्याट्टै ६६यारे जें सनी नादार ६ यूर वीजै जै रस र ध पारे | शुर अनिया त परै परकार के । फेनै ज्ञाप्ति चारे केते हैं देश चारे व इनाने सिंद आई संल घारे व आकार के ।