पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२८

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५५८ मिन्नन्धुदिनोय । • १६ के नैट में दे दिया है। इन्हें अपना करिया प्रश्न मात्रा में है और पद स ६ । इन का कार्य गरि पूर्ग पर सरस । भक्तनामावली से कुछ छंद नीचे दिये जाते हैं:- दित हरि घंसदि कद्दत भ्रय पार्दै आनँद घेलि । प्रेम रंगी र शगम इगुळ नवल यर केलि ॥ निगम प्रम परसत नहीं है। इस सम्र से दूर। किया प्रगट विंस की स्किन जावन मूदि । पति कुटुंब देपत सबनि भूपुट एट दय हारि। ऐए गेट्स बिसयी तिन् गहन रुप निहारि ॥ ज्ञ में इन के निम्न लिखित प्रन्यां का पता पार चला है:-- रसानदीला, (२) झ्यालढुलासलीला, (३) सिद्धान्तविचार (४) रसहरावली, (५) वितसिंगारेलीला, (६) प्रालीदा, (६ आनंदलता, (८) अनुराग्लना, (९) जोपरा, (१०) वैद्य दौला, (११) दानटीला, और (१२) व्याले।। | इनके प्यालीस लीडा, पानी और पदावली अन्य म नै नर- पूर में दे। ये उपरोक्त नामावली में नहीं हैं। वानी में जमापा द्वारा ऋगार रस के सवैया, वयच इत्यादि वथा अन्य इन्दों में धी प्राचंद जी की लीलाओं के पन ३०० पृष्ठ फुसकैप साइज पर पड़े ही सरस तथा मधुर किये गये हैं। इनकी कविता घड़ी मधुर और प्रशंसनीय है । इम इन्हें वैषि की थे झते हैं। का कवि सम- इंदूरदरः ।