पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२८३

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मिषन्भुविना। [सं० ११५३ नाए यै भाषाभूषण पक्ष प्रकार से टीका की गई है । अन्य में मयियों ने अपनी साहित्य-छटा दिलाने का प्रयत्न भ पके अलंच के पिय पर समझाने का अधिः पर किया है। इस आप अकारान्य में निम्नानु के यास्ते यद् अन्य परमापकारी है। इसमें पूर्ण रूप से गद्य द्वारा प्रत्येक अलंकार, या स्वरूप पयं उसके उदाहरण में अदफार फार Fधना समझा दिया गया है। इसमें कर्जा ने अपनी ही कविता से अलंकारों के उदाहरण न ६ फर अन्य ४६ प्रसिद्ध मसिद्ध बिपी फी रचाना। मैं भी उदाइरेय दिये ६, जिस कारण से इस ग्रन्थ के प्रायः संघ उदाहरण बड़े ही यदिया हैं। इन दैन। रचिताप की कविता घड़ी मनाइएघनती थी। इनकी भाप यत्त मधुर र भान य? गम्भीर देते थे। इस प्रन्य के देहे भी पढ़े मनोहर हैं। रहै सदा विकसित बिमल धर यास मृदु मंञ्च । इपन्या नाद मुF एंव ते प्यारी सच मुन्न कञ्च ॥ इन कवियों ने अनुमास भी अच्छे से है। इन की कविता बहुत थोड़ी है, परन्तु है यी उत्कृष्ट। इन देने कर्मियों के छन्द इस अन्य में अलग अलग ६, परन्तु काव्य फै शुग में देने यकस हैं, से इनके विषय में सय पावें मिलाकर लिखी गई हैं। इन बी हम पद्माकर कध की वा में समझते हैं। उदाहरणार्थ इन के कुछ छद नोचे लिखे जाते हैं। आळी 6 निहारि बृपभानु की दुलारी जाई पेखि मान मौतम के प्रेम पास हैं परनु ।