पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२८४

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चलपतिराय वैशर] रारालंकृत प्रकरण ।

  • भैइन का फेरि भै हेरिदा विहँसि मम्

टेरिया सन्नी के जब ना बैंक में भरत || आजु ला म ज्ञानी ही से। परी पहिचानी अच | जीवन निसानो पेसी अंई बैंग की धरत । यिघना प्रथम भानो तन में नवीन किया था। कटि न याते पीन कुच * करत ॥ थिंकलित कंजन की रुचि के इरत इङि | करत उधृत छिन छिन । नवना है। लेचम चकेरन फेर सुन उपजाथै अति | धरत पियूष लमै भेटि दुख दोना है। कृषि रसाय सरसोय मीन केतन को ता] चुथ हीन विधि का विलु कोनी है। पहा दुनन्द प्यारी के मुख चन्द यद्य चन्द ते अधिक अंश्च पॅक हे विहीन है। १ यष्ट छन्द देवानै झविचे का बनाया हुआ है।) इन इरेल नग मद्दल मुलुक पर चढ़ौ अन्न , पन्चे कि तार; ३ किरन गर । आदत ही सापँदा नछन जाय घय घाय स्वार यमसान करि काम आये है. ठार ॥ सासर, मैत मया सटी सदमि ससी प्रामेछ उलूवः जाय गिरे कन्ट्रन मेर। हुए देश अरविन्न व स्राने ने भगाने पायक पुलिन्द चै मन्द मन्यु चार 11