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मलूकदास
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मलूकदास] पूर्वोळंकृत मकर । ग्रयदाता महाराजा जनताले उदयपुर र भ० 10 गज़- सिंह जोधपुर। | (२८३) सदानन्द । इस कवि के केवल तीन छ हमने देने हैं। इनके जीचम- धरिज या हमें फुछ भी वृत्तान्त ज्ञात न हे सका, पर इस समय संवद् १८५ के ग्रास पास है। इसकी कविता सरस और अच्छी है । हम इसकी गणना धारण धे की में करते हैं। उदाहरण ! सेाहे से सारी मैन मातिन किनारी वारी भीर में निदारी ज्ञात होग सारेयान है। सदानन्द्र सुन्दरी ने केऊ य रूप जाके अनिन की आभा सी न आभा सस ना ॥ छगन फी फार लागी कानन की और जेमी भृकुटी मोर और, जेरे धनुषान के। घरी चालवारी मुद्दा बारी छालबारी, पई पीरी सालघारी र नीरी आँखयान ।। (२८) गरूकदास माझ्या फडा गानिकपूर वालो थे । इमका समय सरेरा में १६८९ लिखा है, परन्तु ६ मंथ इनका हमारे देखने में नहीं आया। इनकी कथिती अडी मममेदिनी है। इमें इनकी गणना ताप की श्रेणी में करते हैं।