पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३३५

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१३ मिश्रन्धुविना । । [सं० १८० झिड़ी ध इतिषः रट वकिल दिनान वुधः मनाई। तरम कुल रसाल पचन होमी ६ 'अधिकाई ॥ १ ॥ साई इस प्यारी के चन्द्रिका जटित ग | जगमग जाति भानु काटि वञ्जियारी है। । रतन किट रा राघव सुभान सीस उदित यिविद्यार्टि तश्न तमा ६॥ दामिनो सघन घने घरम विराजे * नील जैत मसभने जटित किनारी है। सिक अली जू प्यारे राजव सिंगार कुन मुखमा अमित सुज्ञ छवि भेदकारी ६ ॥ ३ ॥ नाम(७g७) दिल रामप्पा, कालिंजर-निया चार्थे । अन्य-१ विनयपचीसी, २ चिनय-अग्नक, ३ मिनाए अवतार-चरित्र, ४रासर्पचाप्याथी, ५ चद्मनाभ की शैया, ६ रुक्मिणी- मंड, ७ एक, ८ अवतारघेतावनों, ९ मृपभान की कया, १६ दुसरा इम्मिी मंगल, ११ नायिकाभेद दादा, १२ फुट कविते, १३ फुट पद, १४ श्रीकृधिटास, १५ ग्रालपदेलीला, १६ अतीउपरीक्षा। समय-१८१७॥ यिरगान ये सब अन्य इसने दुरयार छहरपुर में देने हैं। इनमें काव्य गरिमा साधारण थी की है। समय जाँच से लिझा गया है। माप पन्ना-न मद्दारा हिडे- ।। 1