पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३५

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सुन्दर
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पूर्णाकृत प्रकरण

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सुन्दर लंकृत प्रकरण ऋगार नामक मयिकाभेद का ग्रन्थ अनाया, जिसमें उपयुक्त दाते दस हैं। सिंदूरसनबीसी नामक इनका एफ दूसरा अन्ध भी है। होश में ज्ञानमुद नामवः ग्रन्थ भी इनके भाग लिया है, पर धद सुन्दरदास दादूपन्थी का ज्ञान पड़ता है। इनकी कविता परम भरेर पैर चमकयुक्त है। हम इन्हें तैप फी में पैं। उदाह्र । काकै गये बसन एलट आये घसन सुमेर फछु इस नरसन झर झा हैं । ६ तिरिछार्दै कवि सुन्दर सुजान सैरहे कछु मलसमें गाई के रस पागे हैं। पर में पार्दै हुवे पर मैं पार्थे गई। | पर ये पाये लस के अनुरो हो । बने नेता के है कैन अनिता के नु कान बनता पाने का संग जागै हैं । 'आइमास' नामक इन का एक पेर. प्रन्य है। (२८६) पुकर कवि । ये जाति के कायस्थ भूमिगध गुजरात सैराथी के पाल रहते थे। लंवत् १६८९ में जमराई के समय में कई आता है। कि ये आग में कैद हो गये थे, जी जेलपाने में इन्हने रसुरतन नामक अन्य अनाया, जिस पर प्रसन्न होकर जहरशाद में इन्हें