पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मिस्रपन्धुयिनैः । [सं० १८१७ माम–(८४३) गरवीदास या गघदास धनों में मुसा देव । दृद्दीन सादाय । झन्ध (१) पद (५८), (२) पानी। बयनाशा--१८१० } चिपर- साधारण शेयी । छत्रपूर में ग्रन्थ दे । ये भगर्यत सिक्ज़ी के शिप्प थे । इन समय टि जाँच से मिले ६ । नार--(८१३) वादिरसि इ घायस्य निगरा। ग्रन्थ वैद्यमिया । रचनाकाल-१८१८ | विपररा-पन्नानश अमानसि ई के वान थे, जिन्होंने संवत् | १८९६ से १३ तक राज किया। नाम-(८४६) धखि ६ वदीजन मैरा जिला उन्नाव। जन्मकाल-१७६ । रचनाकलि-१८६० । यिषरय—साधारमा । माम–८४५] धीर किं ६ । झन्थे–चिकित्सासार। रचनाकाल-१८१७ । नाम–१८४६) विजयसै ६ महाराझा। | ग्रन्थ विजयविलास ।