पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३५७

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948 [सं० १८१ मिथ्रयन्धुविद् । गेल, गुलाब, गोविन्द, घनश्याम, घासीराम, नरम, नन। नायक, मेयर, नन्द, निफ्ट, नित्यानन्द, नन्दन, नर्म, नेही, नाएर, नेपाज, चन्दयरदाई, चन्द, चिन्तामनि, बत चिरंजीनि, न, छील, यदुनाथ, जगाध, ज, झय जसवन्त, जगन, टीकाराम, दादर, तु, तारापति, रीझ, तिलैक, देव, दूध, दयाय, देवीदास, इनाराय, दामाद घा पर, धार, धुरन्धर, पुत्र, पति, पहलाद, पातो, प्रेम, परमानन्। परम, पत, प्रेमी, परम, वडा, धान, पीपी, श्रीर, प्रिय व४ि, बलभद्र, छम, वृन्द, दाम, अशीधर, झ, बस रायपुर भूपन, भूधर, मन्द, मनिक, गधव, मदिराम, म पहन, में इन, सुरक, मुनोस, मकरन्द, मान, मुरली, मदन मिन, अझर अमन्य, अग्न, झलम, अमर, अहमद, अजमनी, रम, सुर्, उमापत, उदय, ध, धत, उदयनाथ, राधा पि, रमापति, राम, राम, रहीम, नोकर, टेकनाय, छीडापति, अरराय, लीलाव झपाते, लेकिमन, छाल, स, यमन, सदानन्द, सुन्दर, सुखदेव, सामना) ज, सौदी, से, इश्मा दादरा, सेनापति, सुति, सववस्त्र, अक्षता, धीमर, सत्र , सावे, सुमैर, दिना सिइ, धापति, धरिप्रसाद, इविदास, इघिय, इग्इि, इ. या दुलेगो मार द्वितराम।। सुज्ञानचरित्र में सूरजमछ के युद्ध का पन है और इसमें सबत् १८८२ से १८० पिझमय तक की घटनायें झन्ध निर्माण का समय नहीं दिया गया है। जान पड़ता है कि दी गई हैं।