पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४१५

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८र८ मिन्नन्धुविने । [ मैः १८६ विवरण-साधु कघि निम्न प्रेण । नाम--(८६३) फतेहसिंह कायस्थ, कच्च। ग्रन्य--१मतर्चान्द्रुफा पृष्ठ १० पध, ३ गुपकर, ३ गुर्रा | अपिउनुयाद । कमिंताकाल- १८१३॥ विवरण-योनिप गुर्रा पक्क फ़ारी ग्रन्थ है, जिस में पहली | मेहरम से लेकर साछ मर का शुभाशुभ धन हैं। नाम-(८६४) वाटप्यो । अन्ध-याल पदेली । काँग्रता-फल-१८१४ के पूर्व । नाम--(८६५) करनीदान । न्यु–पान चरमर्दन की पति! कापताफाल-१८१४ । विच ली थी। नाम (८६६) जलपम । --१ गतिविळार ! धिताकाङ–१८१४ ।। नाम-६६.७) धैवदास पाणु वृन्दावन । अन्य–तगचंद भाषा पृष्ठ २६ ।। कविताफाल–१८१४ । दिपरा अनुवाद । नाम (८६६) सन्तदास जी कधीरपंथी फफीर।