पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४१६

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प्रतावंत फरय । ८६१ 'अन्ध- स्वामी सन्तदास की इन वागरे, २४ाम्दुमाला, ३ स्वाम- बिलास ! कविताकाल-१८१४ तक। बिबरण-न्साघरा ४ । । नाम-१८e.६) पिहारीलाल! प्रन्ध-इल चरित्र अविवाफाल-१८५ विवरण–पाघार थे। नाम-(६००) यादानंददास अन्य-रागमाल पृ० १४०] काँचनाकाल-१८१५ । नाम-(६० १) पुराय देला । अन्य-यमुनानक। जन्मकाल-१७९०। कविताफाल-८१५1 चिंबर तैषधे होते है। नाम--(६.०२) श्रीघर।। जन्मकाल-६८९ कविताका–१८१५ विवरया—साधा थे । "म–१६०३) १rपालमा धार । अन्य–दार चंठ पर पड़ी का।