पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

८३ मिप्रसन्धुविद् । { से 15 कविताकाल-१८१६। नाम--(६.०४) गोपाल। अन्य-भगवंतराय कफी विरदापली । कविताल--१८१६ के लगभग । नाम--(८०५) यो। अन्ध-१) रसमय, १२) ऋगार, (३) कविता । जन्मकाल-६६१,०।। कविताकाल-१८१७ । नाम-(६.०६) पृन्दावनदान । अन्य-(१) यमुनाप्रताप वैलि ३) श्री हरिनानगेलि (3) चाइ । प्रकरण (४) मापन चार उद्दी (५) इरिनाम महिमाची ५ (६) हित सिजू की सद्दन्नरसपत्ती (७) राधा सुधानिधि की टीका (८) सैचक पानी । फन्निताकील-१८१७। विचरण--स्वामी हरिवंशात्मज्ञ = इरिलाल पा हाप्य परमार नाम६०७) कविराय । कविताफल-१८१८ धिय-साधारण थे। नाम--(६.०८) झामदास प्राह्मण्यसाधु । अन्ध-(१) ध्येयमायण, (२) माव । कयिताकाल-१८१८।