पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४१८

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E सुगराज बरतगृत प्रकरण । 'नाम-(६०६) टेहरे मल । अन्य आनुशासन । यविताफ-१८१८ ।। विघर--भाराि टोडरमल म । नाम--(६१०) वैयदन्न । अन्य-द्रोणपर्व ।। कधिका–१८१८ ! विवरण–कादमीर के महाराज कुमार प्रजाज़ फड्ने से द्वी प्य वाया । माम–१६११) मान महाश धेसयारे के। ग्रन्या कौल (कृप्या आई भाषा)। कनिहाकाल-१८१८ ।। चियर--साधा थे दी। नाम-१६१३) कृप्याकनिधि) अन्य-वृत्तचन्दका । कविता-काद्ध-१८२० के पूर्य । नाम–६ १ ३) जगदैछ। मश-१३। कविता-काल-८२० । वर--नग्न थे । नाम-१६१४) जानरमल कायस्थ नागपूर ।