पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४१९

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८३ मिध्वन्धुविनोद [ सं १८२० मन्थ-निधा ।। जन्माल--२ कविताकाट-१८२३। नाम-१६ १५} तारापति । अन्यनशिप । झन्माल-१७९० | कचिंचाफाल-८८ ।। दिघर–चाप ४ । नाम-६ १६) मरीन्द्र । जन्मपाल–१७८८ ।। कचिवाफाळ--१८२० । विषय साधारण ने । नाम (E१७) नवान बुंदेलनडी। जन्मकाल-१५६२।। कविताकाल–१८३० ।। पिचर-साधारण धेशी । नाम--(६१८) विदरनिदात्त १ घनो उनी जी ) प्यः । अन्–१ सवैया प्रबंघ ३ भजन । कविता-फाङ–१०।। विवरण-इनफी रचना मधुर एवं सरस ६ । ये नागरीदासजी की उपपन्नौ थीं । साधारण भ्रण में इनकी गाना " जाती हैं।