पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४२२

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सूदनन्नाचे ] | कचरालंकृत प्रकरण । कविता फाल–१८२३ । नाम-(६.३०) इसाराम । झन्–प्रपन्न प्रेमाची पृ० ५३८ । कविता-का –१८ ।। नाम-(६३१) जगराम संन्यासँर ३ देल । अन्ध–गि रामायः । कविता-झाल–१८२। विवरण-दीन में । नाम-(६३२) घरदेश ग्रन्थ-रसराङ्ग टीका। चिता-काल-२८२३ । विवरगा—ये इराद्ध मालम शाह सैली के यहां थे। फांबता पड़ी। | मनैदिर की हैं। ताप थे । नाम (६३३) ववश ! अन्य साज़ टीफा । कविता काल-१८-२२। बिचर-राजा रत्नेश के माई शत्रुजीत पै यतु थे। नाम-६३४) वाजूण्य । प्रन्थ-भागवत दशमस्कन्ध की संक्षिप्त कया। फदिला-का–१८२६। विंचरण–साधारण ४ ।।