पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४३२

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वन्दन ] इतकृत प्रकरण । मानिये चटक बात जुर्ग का पट्टाके भाई मानिपे झट किं द्वारे भैफ भुजगन की। माये कहे जे बोर घार ३ चोरि मै ॐगार वरसाइबै; तानै सारिदन का। मानिये अनेक विपरीत की प्रतीति ६ न भाति आई मानिये भवानीमैयक्तन । ॥ ३॥ १६.६८) चन्दन । चन्दन चन्दीन नाहिल पुवाय! जिला शाहजहाँपुर के रहने घाले भै चीर गैर राज्ञा केशरीसिंह के यहाँ ये रहते थे। संवत् १८३० दमभग ये घनान थे। सज़कार नै फेशभकादा, गारसार, कल्लोलतरंगिनो, कायाभरण ( सं १८५५), चन्दन | रातसई और पथिरुध नाम नं ६ छः अन्य के नाम लि | है, परन्तु आँधली में इन नखशिख और नाममा नामक | दें। प्रन्थ 'मेर वर्तमान में । रोज्ञि में पविकघि चार सय कामह नामक इन के है। और अन्य लिॐ हैं। इनकी कविता (परस र भर्नादर होती थी। तुम इन्हें दास की थे में रते हैं। मज्ञ चारी मॅचारी ३ जानें कहा यह चातुरता म लुगायन हैं। पुति पारिनो जानि अमारिनो ६ रुचि पती न चन्मुन मापन ६॥ छध रंग सुरंग के विन्दु घने लगें दबघू लघुतायन हैं। थत ॐ चदा चदि सो रहेदी केहि दी मैदी इन मयन में।