पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४५५

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६५८ भविद् । [१० १८५८ प्रगाह वादोमल र दें। ये लोग बयार के नँहुरा नगर में से थे । धान ने रिला ६ कि इन्दने प देश जान कर हैं लिया था। | दमादा में पन्ना के पीछे पियंदा चार राजवंश का यम एषः मध्याय में है। प्रकाश में एकदिश अध्याय पार फ़रीप साढ़े तीन सर के इस ६ । इसमें गाःविचार, गुदा, भाघभेद् पार रसभेद का वर्णन है। आदि में इन्धन जिस जिस छून्य का नाम आ गया है उसका लक्ष्य भी उसी स्थान पर कह दिया है। इसी प्रकार जद्द किसी छन्६ में केाई मुण्य अलंकार माया, व उषा भी क्षय का दिया गया है। एक स्थान पर राग पगियों का नाम आया, यह इन्होंने उनका भी चयन मार दिया है। पद प्रम सम्वतः तृतीयांश अन्य के इतम हो जाने पर छूट गया है। अन्य ५ अन्त में कुछ चित्रफयती भर दी गई है। इन्दन चित्रकार के सम्बन्ध में हवा का पक छन्द कहा है जा ग्रहुत अ है । इनकी कर्षिता में अच्छे छन्द पटुतायत से है, और मापा भी उत्तम हैं । आपने अनुमास का समावेश भी किया है, पर अधिकता से नहीं। कुल मिलकर थानाम फी कविता यदुत सन्तोषजनक है। इनके दम पद्माकर कार्य की थे ग में परौ ६ ।। नै भ्योदर शम्भुमुचन सम्भहत्वाचन । चरचित चन्दन चन्द्रमाल चन्दन व रोचन ॥ मुझ महल मैद्धाल गैड मोदित श्रुति कुल। मृन्दारक चर चून्द घरन घन्दत अर्पद मल ॥