पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४६३

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८५ मिधद पुपिं वाद। [म 15 प्र—१) आनन्दलहरी ( शारद वही ) ( ७८ पृष्ठ ।, (२) अय- नानन्द ( ८ पृष्ठ )। बपिता-का–१८३९ ।। विदर-छतरपुर में दै । न । नाम-(६६१) यास । कचिसा-कार-१८३१ ।। नियर–इन्होने गैसाई अनुपगिरि की तारीफ में कविता फी ६ । साधारण । माम–१६६.२) भूपति, गैदपुर। अन्ध–{१} सुमतिप्रकाश, (२) रामचरिध रामायण । कविता-का१८३१ । विवरण-महाराजा पटियाला के यहाँ थे। नाम-(६.६. ३) प्रतापसिंह महाराज्ञा उपनाम मादनारायचा, दरगान ।। कविता फाल–१८३२ ।। यिबरया--विद्यापति ठाकुर की रीति पर काचेता की है। नाम-(६,६४) भारती । स्यात् पेडछानरंजा महाराजा मारतो अन्द ।। मन्थ—सै गरि । अघिती-काल--१८३२ ।। विवरण-ताचे थे शो 1 नाम-६६५) भान जी । अन्य--(१) अबज्ञीराभाघरी, (९) सारगी की कथा १९८३४)।