पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४६४

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रामकाज ] उत्तराखंभूत मकर । ८७७ कविता-झाल–१८३३ ! विवर–राजपूतानी नपा में है। नाम-(६६ ६) भीष्म जैन साधू । प्रन्थ- कालीरामतत्र । जन्मेकीले-१८०० ! कविता-काल-१२।। म–(६.६७) रूपास 1 प्रय–सेवादास की परिचई (पृ० ३०) । फयिता-काल-८३२। नाम (६६८) लाल कपि वभाली। प्रध--{१) निन्दरस ( इस मूल }, (२) कनिन महाराजा मीप: | नारायणलिद तपा द्वन्य राजा मगर, (३) लालचन्द्रका। कथिता-काल-१८ | विवरघेतांसह काशीनरेश कै यही थे। साधारण धे। नाम-(६६.६) लाल धिरः । न्ध-नायिकाभेद पदी में । जन्मकाल–१८ । फविता-काल-१८३३ । विवरण –साधारण मेरी । नाम- १ १ ० ५) यासाद्। 3थ-सस्कृतसप्तशती । कविता-काल--१८३२ ।।