पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४६७

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८८५ fगधन्द्धर्मिनाई। [म J८३१. नाम-(१०११) चन्दत राधयिष्ठभी, मु मञ्च । अन्य--(१) उपयुधानिधि पी टी (पृ० १६ पद्य) ( धास्तुति ) २) मापनापपी (धादिर ) ( १५ पद्य }, (६) समयपीसी । निय} { १० १६ पद्म ), (४) अभि- लापपचीसी (नि) (पृ० १८ पन्न}} | कविताकाट–१८३५ ।। नाम(१९१३) प्रतापसिंह महरा । मन्थ--() राजरी, (६) नीतिमंज़री, (३) वैराग्यम जस, (४) स्नेहसागम, (५) संचसागर (१८५३), सी (१८ ५२), महरिशतक फा (१८५२)। कत्रिकाल–१८३५ ।। नियर जयपुर महाराज, उपनाम अनिधि। नाने १ ० १ ३) बलदेव, घर्षलग्रडी । प्रेन्य-{१) सत्फ विगिराविलाससम, (२) कादम्व। जन्मकाळु-१८१९ । कवितका१८३५ ।। विवरण– जिज्ञा रूम्साह बथैला देइरा नगरयाले ६ मई थे । एक संग्रह सत्काचिगिरगिलान बनाया है, जिसमें १७ षयियों के काम ६ । इन गणना भार थे गण में हैं। नाम (१०१४) मथुरानाथ माल्चोय, का। प्रन्यो(१) बिरबत्तीसी (ए० ७६ पद्य) (१८३५), (२) चासोरचक्र