पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४६८

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'रामकाल ] उत्तराखंर मरा | मन (g० ८ पद्य) (१८३७), (३) सुमार्थपातंजलि भोपा (मृ० १६ गय) (१८४६), (४) विवेकपञ्चासुत (१८५२), (g० ४१८ पद्य) (५) चूड़ामणिशन (एe ६ पद्य), (६) पातंजलि भाषा (पृ. ९५ पद्य) ११८४६)। भाम-(१० १५) महादान चारण । अन्य-(१) छन्चु जलंधरनायी । ६८), २) गीता राना जी श्रीमसिंह रा (१८३५), (३) गीता महाराज मान- सिजी र (१८८५)! कविताका-८३५ 1 विरा-राजपूतानी कवि। नाम (१०१६) मानसिंह । मध्यमीक्षदायर्फ पंछ । कविताकाळ-१८३५ । निवर–नानकपंथी गुलाबसिंह के शिष्य । नमि-(१९१७) लाल कालावधि। ग्रन्थ नग्नशिस्त्र । जन्मका-८०७। कविताकाल-८३५) नाम (१ ० १८) ससुर ब्राह्मण, झाबर हुँदैछ। 'बमका–१८०७। कविताकाल-१८३५१