पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४७१

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मिन्दोद। {० १६३७- (१५) रामपावटा, (१३) सियागमरमंजरी (१८८! (१४) रामचरितमानस की टीका, (१५) सवारिधि, (१६) | यंरोमयिय (१८), (१७) चित । पियर-अच् पति, भार टीपाषा थे । माम–(१०२६) रामलशन । प्रध-प्रद्मसतू। कविताल-१८३७ } नाम (१९३०) हाल झा मैथिछ । ग्न--1) पनप घाट उडा, (२) गरीपरिणय भाट । पराकोट-१८३७) चियर--नरेन्द्रसिद दरभानर्देश के यहां थे । माटफार हैं। नाम--(१०३१) हरिलाल ध्यास, आजमगढ़। अन्यो-(१) सैयक्यानर सटीक, (२) रसिकमेदिनी, (३) राम की घायली (पृष्ठ २०४) । । कविताका–१८३७। पिंपदश साधाएगा । नाम-(१९३२) गुमान विषारी। ग्रन्थ-(१) छवि, (२) कृप्याचन्द्रर्चाका। पविनाकाल-१८३८।। पियर-साधारण धेश । नाम (१०३३) महेचा प्रपंच या गाभन ।

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