पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४७६

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रामख] | पद्मराजंत प्रकरण । म

  • विवर–चन्देरीनरेश राजा दुर्जनसिंह का सेनापति ।

| नमि-(१०५७) ववदास। | अन्य-(१) भक्तमालयेधिनी टीका, (३) मक्तमालमाहात्म्य, (३) भकमरमसंग । कविताका१८४४। पवर- बोझ से इनकी संवत् १७८२ भी करता है। माम–११ ०५८) अमरिसंह कायस्थ, जनार छतरपूर।। प्रन्थ-(१) सुदामाचरित्र, (२) रागमाला, (३) अमरचन्दका | ( विहास्सतसई की गद्यपद्यमय टीका )। वन्मकार--१८२७ ।। चिता-का-१८५५ । विवरण-छतरपुर राज्य के स्थापक कुँवर' सेनेसाहू के दीवान थे। नमि-(१८५६) जगन्नाथ, छतरपूर । ग्रन्थ- यन (नुः १३८)। कविता-काल-१८४५ । नाम-(६०६०) जवाहिर घदीजन बिलग्राम। प्रन्थे–जवाहराकर कविता-काल-१८५५ । पिवर साधारण श्री । नाम–१ ०६१) पदीस कायस्थ, टटम, रोल छरपूर। ध-फुट। जामफल-१८२६ ।।