पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४८९

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५०२ भियग्नु पिनाद । । आर पी । दिपग्निसरीज में इनका जन्म-संस् १८२८ दियो । है। हमने जंा ग्रन्थ इंफा है यह सचद् १८७२ का लिल्ला हुआ है। अन्न व नायिकाभेद नामक एक वटा र अन्य ६२ वर६ का बनाया है। इसकी भीपर मधुर ६ । इसमें है, पर संस्कृत ५ ५३ माया के ६ । अग्ध प्रसनय है । हम इनका साधारण्य

  • में समझते हैं।

सस्कृत-यदि भपति युधमिलने कि झिदिन । यदि च भपति शटमिलनं कि नयेन । भापा–अतिरिनि मन की गरिन उतम न दे।

  • कई अधयाँ मन मयि ६ ॥

तुरकिने जाति हुकिनी अक्ष इन्राय । छुअन न देइ इजरघी मुरि मुरि जाये । पातन सुभ कन्न लॅfया इम अथेति ।। सारस ६ अप्ति जारिया फिरी अझैछ । इनका कविताकील सवन्, १८५६ के आसपास जान पड़ता है। १११०७) गणेश । में माशय मुलाचे कधि के पुत्र थे और छोटू कवि के त्रि। ये कादी-नरेश महाज्ञा उदिचनारयसिह के यहां रहते थे। इनकी कवितावाल सवत् १८५७ के लगभग हैं। इन्द्वी वामी कीय रामायण बालकादि समय र किन्धा के पाँच अश्यापे, का प्रशासनीय पदानुवाद 'वामीकि रामायलोपाघ्फाषा' के नाम से किया और अग नामक एक द्वितोय पुस्तक