पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४९

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सनापान पन्ना फ्यालगृत वर्ण । २६३ नन्दजू का प्यारा जिन फंस फेइ पठार घट्स शुन्दावन घारी एन साहेब मारा है ॥ नाम-(२६८) शिरोमछि प्राह्मण चना-कई ग्रन्थ। समय--१७०० लगभग। पिधरण—शाहजही बादशदि के दरबार में थे। साधारया में की काय है। उदाइरस देखिए । सागर के पार हुड मच्चियो राम राजनहि सिमनि भारी घमसान भक बार भी घुमत घायद्ध जद्दी अछ अदछ चालें नल मळ व लाडू यफ तार भै । छिन छिन छूटत पनारे रतनारे भारे नारे औरे, मिलि के समुद् यक सार भी। वृद्धि गर्यैा वैल माल मयिक निका* गये। | शिरि गईं गिरिजा गिरीस पैर पार भी॥ इस समय के अन्य कवि गए । भा-(२६६) फैशषवाचारः । ग्रन्–११) महाराज गजसिंद फा गरूपयन्ध, (३) विषैफ- रचना छि—६८