पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४९०

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गणेश उत्तरानंश प्रकरण । भी लिखी । इनकी कविता सानुप्रास और सब होती थी। हम न्दै वैप फर्षि फ श्रेणी में रत्रते हैं। युद्ध के निधान में प्रधान काव्य फाज़ में दी बरदान पैसे बरन दुमैस है। दूपन ते भूरि भूरि भूपन ते पूरे पूरि भूपन समेत हुन नचा रस बेस के ॥ भनत गनेस छन्द छन्द में ललाम रूप नूप गन मा माई पंडित सुदेस के। प्रन्थ परिपूरम के कारण फन्डार दीजिये निजाहि नेम नन्दन मईस के॥ स्वाक्ष में 'इंदुमत पचौसा' नामक इनफा ५ र अन्य नाम-(११५८) क्षेमकर्ण ब्राह्मण, धनील बाहुबकी। | अंध (१) रामरक्षाकर संस्कृत, (२) कृष्णचरितामृत, (३) वृत्त- राना-पद, (४) गुकथा, (५) कि, (६) रामगीतमाळा, {७) पदविज्ञास, (८) रघुराजघनाक्षरी, (९) वृत्तभास्कर। जम्मका–१३।। मरम्पका–१११।। विचरण ये माइशय अच्छे कच धे घेर इनका काव्य मनोहर है। इनकी बाजा ताप कई फी थे । में हैकाफी है। ।। वृत्तमास्पद से- भै व्यवनार तयार तद् तै रघु करत वियारी । अनुज समेत मनुनपतिमंद्र तुर नर मुनिं मनद्दारी ॥