पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मुग्मन ] पत्ता प्रांर । गदापुराण तालपान्तर्गव वृन्दावनमाात्म्य वाले घाइवें अपाय के माशय पर सबत् १८५९ में रचा 1 यह ग्रन्थ छारपूर में है। इसमें ३२६ पट्टै पृष्ठ है। इसका दूसरा ग्रन्थ जबमयाचा नामक भी हैा बापाइये में १७८ थडे पृट्स का छतरपुर में है। फुलं मजयात्रा में चन उपचन आदि के दर्शन है । हम इनकी गणना मधुसूदुनदास की अघी में करते हैं। पुनि जल बाहर आय, दिय निर्देश यक विष्टप कहूँ। बरदुपट समुदाय, अरु भूपन व भाति $ 11 नाना विधि के असन साहाये । अरु मूषन मॉनमें छवि छापें ॥ गुन्द्राबन पादप हे बेते । सुरन सम है ये तेते ।। लपि प्रतियअतिदीहरपानो । पहिउँ काच अनुसारः सयानः ।। जा पादप सन बलम में गये । नहि अाचर पद अस गाये ॥ . (१११३) सम्मन ब्राह्मण । ये मल्लावा जिला हरदाई में सत् १८६४ में खत्म हुए थे। इनका फायकाल संवत् १८६७ मानना नारि । इन्ट्राने नीति के बुढीले हे कई और पिंगलकायभूषण नामक एक ग्रन्थ भी १८० में बनाया | इनकी गयना साधारग थे ी में है। निकट रहे मदर घटे धूरि रद्दे इत्र हेर। सम्मन या संसार में प्रीसि करी जन होय || सम्मन नहु सुख देह के ता आदी ये चार। नारी सुगु ज्ञानिनी पर पराई नारि ॥