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पूर्वलंकृत प्रकरण ।

अट्ठारहवाँ अध्याय

पूर्वलंकृत हिन्दी

माहात्मा सूरदास और तुलसीदास का समय हिन्दी साहित्य लिप जैसा गौरव-पूर्ण हुआ था, यह सुन ऊपर देख चुके हैं। का विषय है कि गोस्वामी के पीछे वी पर्यंयन्त गर्दै ६५ कपिता के लिए और भी अधिक महन्त्य फा हुआ । उस {" के साथ उत्तम तधा पॉपक नापा का जन्म हुआ था और ही नै मूनपूर्व सरपूर्ण घमक हुई कथिसर का मुस ते भी होशवानी और यैावनानया में अन्तर हैमा ।। है । इसी सम्मानुसार इस फाल की भाप अधिक मिय एक समान में यह भी हुई एक चर का है। र विमा हिन्दु जादा है फिर से सिर उठाया Fatदिया है विजयी यचनी का साम्राज्य बिगड़ते " ही हैं गया । इसी काल में महाराज दिया र ३ लकुछ और दिल्ली के विमई फर' के विशाल