पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५२८

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| प्रवीण काल ] उत्तरालंकृत मकरवा । ६३५ "कविताकाल -१८५७! विचरण–वेष श्रेणी । ये माशय हिम्मतबहादुर के यहाँ धे। नाम--(११ ४५) श्यामसखा । अन्य रामघ्यामसुन्दरी।। कविताकाल-१८५७। माम-(१३४ ६) शिव कवि । अन्य-धागविलास। कविताकाल-१८५७ । पिपरण–ग्वालियरनरेश दौलत राय सँधिया के दरार में थे। नाम-१३ १४७) सुन्दरदास, बनारस। प्रन्थ (१) यीसुन्दरश्यामविलास (१८६७), (२) विनयतार (९८५७), (३) सुन्दरशतऋगर (१८६९)। कविताकाल—१८५७। बिबरच हीन धेशी । विशैपढया घोदा चौपाई में रचना है। नाम (११४८) हरदेव, वनिया सून्दायन । ग्रन्थ-(१) छंदपानिधि, () नायिका लक्ष्य । न्मकाळ-१८३० । कविताकाल—१८५७। विवरण-अप्पा साहब नागपुर के परे थे । नाम–११ ४६) परमानंदकिशेर। प्रय–पचैतीसी।