पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५३२

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बेनीप्रीय-काल ] उत्तरार्द्धकृत प्रकरय । ६४३

  • ग्रन्थ-दाहा ।

कवितकाल-९८६७। थिधर-छपूर में फैला । साधारय अंगी । ये महाशय सेवा- नरेश महाराजा विश्वनाथसिंह के गुरु थे। माग--(११६६) महेश । अन्य सुमन से।। कविताकाल-१८६१ के पूर्व । नाम (११६ १७) उमेदम चोरग्य, अपर । अन्य चाग्रोभूपम् । कविताकाल-१८६१ । विव-साधारण प्रणा ! तिजार माज़ के चास्ते यह अप घनाया । माम–१३६८) मनराम्रनास कायम । अन्य-छन्दै नेघि पिंगळ । विवाफाल-१८६१ । विवरण-नारायणदास यदी पाये के पुत्र । नाम---(१ ३ ६६) नेनेसा ।। प्रध-(१) मूर प्रभाकर (१८६१), (२) यमनादर (१८५१), () संजीवनसार (१८६६) । कचिंताशाल—-१८६१ ।। नाम-(१६७०) तेसंह कायम, जिगनी।