पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५३४

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५(प्रवीण-काज ] उत्तरलिकृत प्रकरया । ६४१ 'इनकाल–१८ge । कवितकाल–१८६५। विचरण ये वैयकी का ऊद्यम करते और मिर्जापुर में रहा करते थे। नाम: (१६७६) प्रताप काये काय झसि । ग्रंथ (१) चित्रगापित्रप्रकाश । (द) श्री वास्तयन के पटाके अष्टक। कविताकाल-१८६५ । विपरराव रामचन्द्र झाँसी वाले के समय में थे। नाम(३१७) पहिलवानदास साधु, भीखीपूर, क्षिe | मारा । ग्रन्थ--उपखानविवेक (पृ० २६ पद्य) । कविताकाल–१८६५॥ नाग--(११७८) रामदाल) जन्मकाळ-१८९ । चिताका–१८६५ । धिवरा-तोष श्रेणी । नाम-(११७६) शिवलाल दुये, डौंड़िया सेरा, उझारु । प्रथ–११) भन्नशिया, (२) पटनु । जन्मकाल-१८३९ ।। कवितरकाल-१८६५ ।। चियर तोप क्षेम ।। १ नाम-(११८) संग्रामसिंह राजा । अन्प-कायार्थ पृ० १२)।