पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५३७

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मिध्वन्धुदिनाः । [ २० १८१७ कविताकाल--{८६७।। नाम-(११६२) स्वरुप मान । अन्य-भडन्धरचन्द्रोदय। कवितपिाल–१८६७ | नाम-(११६३) भाचदादास । मन्य--(१) रमिरसायन पिंगल, (२) भगवतचरित्र । कवितावल–१८६८। विपर-सापार मेशी ।। नाम--(१५ १६४) मंगादास चंदेल क्षत्रिय। अन्थ-(१) शतिनुगिरी, (२) शवरार, (३) माळरमी ३ पे कविताल–१८६६। पिंपरी--इरििसंह के पुत्र नमनदास के शिप्प । नाम१११६५) जानकीदास कायस्थ । --(१) नामबत्तीसी, (२) फुट घेदा, कविच और पद्द ।। कचिताफाल-१८६९।। बियर–दतियानरेश महाराजा परीक्षित के यहां थे। साधारण धे । सानुमास कथितः । नाम-(११६.६) यागदास भाट, घसारी, राज्य उत्तरपूर, झन्थ-(१) द्वितेपदेश, (२)शब्दावली (१८६४)। चिसाझाल–१८६९।