पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५५

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१३:: FB : २५ सैनापति-काल] पूर्वालंकृत प्रकरण । रचना-चाल—१७०० के करीव : * . विवा ---मुर्शिदाबाद् के जगत सैइ हालचन्द्र के ग्रह थे। नाभ-(३३७} कपूरचन्द। ४– पा रामाप । रचनाका-g4} नाम-(३२८) फलानिधि प्राचीन । जन्म-संवद्-१६७२। इसनकाल–१७०० | नियर--साधारण थे । नाम--३३६) फारे पेग फ़ीर । अननकाल–७०० । विवरण-साधार भैमी है। हा--(३३a} गोपालदास प्रेसी । अन्य--( १ ) मा विवेक, (२) परिचय मी दाटूजी की ! चना-का-१०।। विपरग–इशकै पद रामसागरदय में हैं। इस नाम के है। कवि वा में लिखें हैं, परन्तु इमें ने एक ही ज्ञान पड़ते हैं। नाम--(३३१) रविन्दु अटल । ज्ञा-संवत्-६० । चनकाल–१७०३।। विवरण-नर्की रचना हुज़ारा में हैं।