पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५६८

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बाल ] उहरासते अशरण । १६५ सेहत सजाले लित असित सुरंग पंग, जीन पजन अनूप रुचि के हैं। सील भरे लसत असील गुन साल में हैं। | खोज की लगाम काम कारीगर फेरे हैं। युट फरस ताने फिरत फर्चित फुले, | चाल कवि लैक अवलाकि भबै घेरे हैं। मार वारे समझे र पनके मरोर यारे, | और चारे तरुनो तुरंग दृग तेरे ६ ।। प्रीति कुलीनन से निचाँई अकुलीन फी भीति में अत उदासी । तर बैल गयेर ग्रह में एग पठप यो अविनार । त्यों कवि ग्पाल विरचि बिचारिकै अरी मिलाय दई अतिवासी । जैसेई नंद के पास कॉन्छ सु तसिद्दी कुम कल की दासा ॥ इनकी गणना पद्माकर कवि फी श्रेणी में है। नाम (१२३७) कान्ह प्राचीन। जन्मकाल--१८५२.! कचिंताछ १८८० । विबर–इनका काय सरस हैं। इनकी गणना ताप कचि की। ४ मा ६। पुर- फानन । सिया ये तिहारी भेरी इमारी क ग लिई । मूद हमें तुम ऐन्न है। यह र तुम्हारी हुई टी सर्कल६ ॥ कान्हू फी सुभाउ यई उनको इम हायन हो पर भैलि । राध मानेर दुरो के भला अग्निम् दने; संग तिहारै न छैलिएँ ॥