पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५८७

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मध दिइ । [में 15 थएँगञ्ज महागजे तव इइतने पदाधी (ge २८), इएस्स- अनेकानेक ग्रन्थे यनयाई ६ वैश्यापिकापदावली (पृ ५५ घन्द्रिका ३३ पृष्ठ का व प६अभ्यासप्रकाश (पृ ३२ है । विना श प यह धर का से प्राना । इसमें अधिन् ।

  • थ छ सीताराम-त्सवमकाशिका (9

ॐ वियों को इसमें उत्तम र लनफारसी (g० १०), सौतारा* घपुरा पन्नोपदायफ। चिन्न

  • रयममाददायली {पृ० १६,

वनंत्र दृष्टि से देने पर : या प्रेमपनदिनी (पृ० ३०), घमाटो कारगा यही है कि इसमें ८), उपदेशनीतिक (पृ. ८ 4 गया है और के ८४१ दायरातमः पृ० १०), र सन्तु करना पड़ा है। फिर भी इस और अनेकानेक उत्तम चिः 7 मारे देने में न आये ६ । प्रन्यी के से प्रशंसा करनी पड़ती है। में एक आशुकवि थे। इनके निम्न- कवि ने न कही है और दर, ६'कारले ६ ही पिसी भाषा-ग्रन्थ में है मदन्जुमाला (११ अध्यायों में प्रज्ञ फपिच चर्समान है और फि पमा तप्शंसा (४९ छन्), नाम- है। इस कवि को धूम से रा (५२ छन्द), घेराम्यान्छ । ५९ कुछ छन्। नीचे लिघते हैं:- "दिर, भक्तिवान्टि (९६ छन्द), सघाम- पनार्थ) गु (८५ छन्), रुपवान्त (१८ पर देस करि से? गर' के ०४ छन्द), दम्पतिरहस्य (१०५ उन्नावे। वश नेना वार "), और सिद्धान्तसारोत्तम (५२० मच लेक ला किया था ती थी पर इतनै बिरयों के भग छवि हाजत दिए ग्राम प्रस्ट ६ । इन की गयमा तोप हरि हरि पैसे द्वारे रचना परम मनैहर है। य?