पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५९

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पिंदारीकाल पूर्वकृत प्रकरण । नाम-(३४६) काजी कदम। अन्ध-साखी ! रचना काल–७६ से प्रथम । नाम--(३५०) मधुसूदन । जन्म संवत्-१६८१ । रचनाका-६६ । विवरण--साघार थे। इक्कीसवाँ अध्याय । बिद्दारीकाल (१७०७ से १७२॥ तक) (३५१) महाकवि बिहारीलाल जी । थे मदार फार कुल के माथुरः माइणि धै। इनका जन्म अनुगमन से संपच १६६० में ग्वालियर के निकट ससुवागैबिंदपुर में हम चा । इनकी वाल्याचस्था ३ देलवड में बीती और तार- वस्था में ॐ मधुरा अपनी ससुराक में है। फते हैं * इनके फाफार कृku कवि रद्दी के पुत्र थे । इन मराल आज मान से संवत् ७२० समझ पड़ता है। ये महाशय पूरः के मिर्जा महाराजा जयसिंह के यह दा कतै शे। मदते हैं कि एक समय जयसि; एक आटी सी रानी के प्रेम में पैसे मग्न ६ गये थे कि कभी घाइर निकलते ही न थे। इस पर