पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५९५

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भिडन्धविनाद । [३० १८८५ वःविताकाल-१८८५।। दियण-निरर्थे । नमि--१३६४) मदेश ! अन्मकाळ-१८६६। कपिठाकाळ-१८८५५। थियर–पि कचि फी थे । नाम-(१३६५) इरसहाय भट्ट, पट्टनर । प्रन्थ-(१) रामरायली ( पृष्ठ १५२ } (२) रामरहस्य । कप्रितकाल-१८८५।। पिंधरा–गाज़ीपुनियानी जीवनदाल के शिम्प । नाम (१३६६) मिनदास । प्रय {} देहाओं का संग्रह, (३) गुरूचरितामृतं । पवनाफाल-१८८६ के पूर्व ।। नाम–१२६७) अयादिसिंह काय, चमारी राय । प्रत्य-(१) मंगलपचासा, (२) यात्मीय रामायण का न्यो- |घद्ध अनुवाद : जन्मार्च-१८६० ।। फबिंद्राकाल-१८८६। विवरण–चारी-नरेश महाराज रत'कैज्ञ-कवि थे। नाम-(१३६८) माझी। अन्ध-स्वास चाहाने का इतिहास। थे । | ||स की राय