पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५९८

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६११ माकर केज 1 उछलकूत प्रकरशु । नम-१३०६) पूर्णदास (नगर)। अन्ध-(३) कबीरदानी का यज्ञक टीक, (२) बानी (१८८७) । विशाल–१८८७ ! विवर-ये महाशय अपने गुरु दयालदास की गद्दी पर संवत् १८८४ में बढ़े। नाम-(१३१४) सन्तसिंह साधु । ग्र--(१) भावप्रकाशिम दोका, (२) विमल चैरान्य सम्पाविनी, (३) ज्ञान-घेराम्य-सम्पदिना, (५) माघमकाश । कचिनकाल–१८७ । विवरणमायण तुलसीत की टीका । मि-(१३११) सीताराम दतिया। न्ध-रामायण । पिताकाल-१८७| विवरण–दतियानरेश राज्ञा पाव के दरबार में । नाम--(३३१३) ईस । 'न्य-विहारासतसई टोक । तपाल–१८८१ के पूर्वं । धन-(१३३) सादिङ्ग पण्डित । --बुदेल वंशावली ।