पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५९९

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१०१० मिअपपुयिनी । नाम--(१३१४) सेपक । अन्ध-१) अकबरनामा, (३) घशिष्ट श्रीरामजी का सचाई । कचित्राल–८८८ के पूर्व । नाम--(१३१५) चतुर्मु उपाय कायप, महम्मदुनगर, मिला छपरा। बचित्रापाले--१८४८] यिषण-तरपुर के दीवान थे। नाम--(१३ १६) जनकराज किशोरीशरण । अन्य-अनन्यतरंगिनी । कचिताकाल-१८८८। नाम-(१३१७) दामोदर देय महाराष्ट्र, उरछा निवासी । अन्—(१) रस-सरेजि (१८८८), (२) घलभद्शतफ, (३) उपदर्भ- मानुक, (४) बलभन्नपचीसी, (५) वृन्दावन वन्द शिमनस ध्यान मञ्जुषा । कविताफळ-१८८८। विवररी नरेश राजा इम्मरसिंह के गुरु थे। नाम-(१३१६) अकबर स्त्र अजैगड पालें। अन्थ—येागदर्पसार । कविताका–१८८९, । - विचरा–वैद्यः पद्य ग्रन्थ।