पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/६०५

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१०।। मिन्धविनेः । [म अज्ञात । थाभ धरे सम केपि माग छ । नीच पर एग नाहिंन । पष६ ६ कट्टर करीं कृति एयः फीट पर कई आनि । पूरन में में माँ गुफ़लता है उनी मन में रुचि काहिं न ।।। मापन भापसी के सुदापक पर फहू' [एर से दूर ताईन । नाम (१३३७) मनस्सी । चिंचर–प थे । | उदाहरणे ।। मलयज गारा कई अंगन सिंगार करें गदि उ र क मलि मुफनान की। अरी अताश कई घंझा नर दराफ, ३ सितारा कई विसद चिंता की । मुप से निदारा कई दुख्न के पिसारा कई मनसा इसारा करे' सारा रिंच पान फ! मानिक प्रर्दीपन से था। साजि तारानू की | आरती उतारा करें दारा देवतान की ॥ १ ॥ नाम-(१३३८) राम कयि । ग्रन्थ-किचनपढ़ । पिघा—इस सप्र में इस मदारमामा फी चा तशी पद संग्रह किये गयै दें । यद् पक चड़ा ग्रंथ है, परंतु किसी का भी सभय इसमें न फट गया है। यदि समय इत्यादी , ६ दिये जाते ती बड़ी ही उपयोगी ज्ञातः । यद् सप्र । इमनै दृरबार छतरपुर में दैया हैं।