पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/६०६

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११३५ | वहाव ! अज्ञात-काक्षिक अन्य। नाम-१३ २६) चदाब ! अन्य--वारामासा। विवरण-बारामासा की रचना सड़ चलो में अच्छी है। साधा- र भेरी के कवि थे।उदाहरणः-- असाध साजि के दल मुझके बैरा ! फी घनश्याम से जा हलि मेरा ॥ नगरे मेघ के धागे गगन पर। विड़ की चाट मारी मेरे मन परे । समे गुर नफौरी सो वज्ञापन । पिया बिन कानको चिनगी इड़ावन । नाम-(१३३०) सवल दशम् ।। विषय-इन महाशय का परचे पटतुमने देखा है, जिसमें १२२ छंद हैं। इनका इससे विशेष हाल नहीं मालूम है। इस कवि की भाषा काजभाषा है और फायरिमा साधारण ये की है। उदाहरण्य- तपन तपे रितु पन तीन माम् । ताकि तरुनि तन सोसल सीजे फाम ।। छाँछ सघन तम् माधै बालम साथ। फी प्रिय परम सरोवर क्षतिल पाथे ।। इस अध्याय शेप कवि गण । नाम-(१३३१) असयपम् । प्रय फुट फर्पिता ।