पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/६०९

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१०१३ मिन्नगन्थुपिनीद। [सं० अज्ञात । वियर भाप घश्वनी भाग में रिवी है और फुट छंद भी न सुनने में आते हैं। इनकी याना ताप | पवि की शो में की जाती हैं। नाम-(१३६४) कालूराम अन्य फुटकर कविता। नाम-(१३६५) फाशी ! प्रन्थ-नसली । विदर-चितामामा के साथ मनाया। नाम-(१३६६) काशीयज्ञ (स्यात् स्टा वान सिंध) । अन्य-चिनचंद्रिका । नाम-(१३६७) कासिम । पन्य-रसिकांग्नया की दीका । पिंदर-वाजिद के पुत्र थे। नाम-(१३६८) किलेल। प्रध-देला मारू रा देहा। माम-(१३६६) किशोरीजी। प्रन्यानी ।। विवरण-यह पुस्तक हमने दुश्वार छतरपूर, ३ देसी । सा ।