पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/६१

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विडारी ] पूर्वाञ्चकृत प्रकरण । सतसई पर लगभग ३० टीफा और अतिर्विय रचने वाले कविये। हे र्णन सान स्थान पर इसको इतिहास में मिलेंगे। इसका म जे साझ फल देन पड़ती है, चद् आज़म शाह ने कराया, अतः इन् प्राज्ञमा फइछाता है। सतसई के प्रथम, पचम र सप्तम शतक न ही उत्तम हैं। इसमें कोई कमबढ़ बर्गन नहीं किया गयर, परतु कितने है। विपय गये हैं । इनकी कविता में बहुत प्रकार मार भापामे फै शन्द मिलते हैं, पर घट्स सब मिल कर प्रध भाषा मेर वैदेल झ झी मिशा शर. कुछ ही प्रशंसनीय हैं । इनका चील चाल घदुत ही स्वाभाविक तथ्य इचारतराई सद्भुत ही खाए हैं। इन्होंने यमक तथा पदभेघी का वाटुन मग किया है और ऋगार के कामळ वन करने पर भी यह कविरत्न जोरदार भाग लिखने में भी समर्थ दुम हैं। इन्हों ने काव्यग वड़े ही अष्ट पहें हैं और कपक, उपमा, उत्प्रेक्षा अदि बड़े चमत्कारी लिने हैं। बिहारी ने " के मिलन के बर्मन भद्दे ही विवाद किये हैं, तथा प्रतिनिरीक्षण का फल इन चहुत से अन्दों में देख पड़ता है। अतिम गुण के साथ इनका कायापन भी खूब मिल जाता था । इन्ने मान्य मति फा बन पडा ही उत्तम, सत्य पर इद्यमाहीं किया है। मगर घने में इन्हीं ने सुकुमारता की मात्रा बहुत रवी ६, यहाँ तक कि ग्रामीण वने तक में पढ़ प्रस्तुत है। बिहारो की कविता में चौद्ध बहुत है मेर घद् चदैया भी होते हैं। इनकी रचना में सुई देश की माम यहुत अधिक है पर इसमें अस से ऊँचे और खास इनके गया