पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/६२२

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१०३५ मिथपशुविना । । नाम--(३४८४) दुयःदाम | अन्य–(१) जनपघासा, (३) विनयभार । नाम--(११८५) दमाल यापस्थ, बनारस । अन्ध-पदमार। नाम--(१४८६) दयासागर सूरि । ग्रन्थ--धर्मदचचरित्र।। विवरण-अन फदि मान्दूम पड़ते हैं। नाम--(१४८७) दर्शनाल कायस्य । झन्ध—-रामायश तुल्साइत ! विचरत-नस मरेइन महाराज यादसिंह के यदुई नीक थे। ५, नाग--(३१८८) इसानद । प्रन्थ-दराज्ञी है। ख्याल । नाम-(१४८.) दारू । चिंचरण–वेठीस काय है। नाम--(१४६६) दास ग्रनन्त । प्रन्य-(६) द्वारा की परचई (पृ. १४ पद्य), (२) घोर साहिब वी पर नई (पृ १४) । नाम-(१४६.१) दासगैचिद । विचरण–भ घ कवि थे।