पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/६२८

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१०११ इमपन्थुपि गई। नाम--(१५१७) नरम । अय-फुटकर कधिच । भन--(१५१८) नरहरिंदा थे । मन्य-प्रारदमाप्ती । नाम--(१५१६) नदि। न्ध-फुटकर कथिा । नाम---(१५३०) नयनधि शभ्य पर। भन्य-संकटमैचन (पृ० ५२, ५घ)। नाम--(१५२१) भवकिज्ञार! विवरण साधारण मैगी । नाम (१५३२) नापी कारण मारवाड़ ! ग्रन्थकुटकर गन्न, फपित्त । नाम-(१५३ ३) नारायणदास साधु । अन्द-भज्ञन । ममि (१५३४) नारायः पप भए, बनारस। अन्य अपभूपया का तिङ्गक। पियर-ये भई सरदार कति के शिष्य थे। माम-१५२५) निधनाय। मन्य--अन्त्रपरि रसरफ।