पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/६५

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शंभुनाय] पूलंकृत प्रकाए ! ४८३ सेत अवीर के घूर में इम वालने की विफस मुव्र थे । चदिन में र मना गृप सम्भु बिरालि रहीं मवाचे ।। । कॅाहर काल जपा दल चिंद्रम का इतनी जु बंधूफ में केति है। चन रा रची मेहँदी नृप शम्भु कहैं मुकुता सम पोठि है । पायें ध इ ईगुरई दिन में ख़री पायल फी घनी जाति हैं। हा हूँ तोनिक चारहूँ और यं चाँदने चूनरी के हँग है।ति है । नाम -(३५३) बाट नर इमिंदास । अन्ध--१ दशम स्कन्ध भापा, २ रामचरित्रकथा (कागभुशुण्डी- गरा-संवाद), ३ अहिल्या पूर्व-प्रसंग, ५ अचचार-चरित्र {अवतार-गाता), ५६ान । कविताकाल–१७०७ ] विवरण–ये महाशय नुकवि थे और इनकी गणना नैप श्रेणी में की जाती हैं। इन्होंने अपने सभी छन् । उत्तन प्रकार से कहा है पैर प्रयैक ग्रन्थ में एक अच्छी आधा भी फही है! इन्हें ने विषय चुनने में बेड पर दिखाई और वर्णन सफलतापूर्वक किये । आश्चर्य है कि इनके ग्रन्थ संसार में भली भाँति प्रचलित नहीं हैं। कयासँग के अनुरूप इन्होने न्द भी उत्तम चुने हैं। । उदाह्र । गर्दै प्रकार केशल कुमार पि ना उधारिय। इन्द्र और पवि शाप मेंचि सिल देइ सुधारिरय ॥