पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/७४

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११ Fewधुपिनेर। [१। 19• कोई भी वय पेसी मुष्ट्र पर शुतिमधुर भरपा लिम्रने में समर्थ ही दुमा निकै अनुमान गई एन ए, पर उनि तिं पर पद्म भागसम्बन्धी पगु इन धना में पाये जाते हैं। इप मा भी इन बहुत अच्छी हैरती है और मानुषीय मति के भी ६ वह इन्दो परमादृष्ट चित्र च । । हैन, माय में मना ६र न्दै पी मात्रा पदपता से पाई जाती है और पुरे । बाम मिकामा फटिन वाम ६। मिंदारी ६ वाई इन्धन ६६ भी परम चमत्यारयुक्त बनाये ६ । दद्दाकारी में विद्यारी की मार दूसरे हन्दी में देष की समानता इस कनिंदा ने की है। मतिराम भाप सन्दिय एव भविगाम्भीर्यप में परम प्रातमित हैं। इनकी मात्रा यंता भी ॐद की है। इनका एक अन्य मैर पिला है जिसका नाम सतसई मतिराम है। पास का वदारय । गुइन के अयतंस लरी सिनि पच्न अच्छ किरीट थनाय । पाये छाल समेत झुरी कर पछच से मतिराम सेढाये ॥ गुन ३ उर मन्जुल माह निकुञ्जन तै कदि धादर आया। ज़ और 5प से दलाल के • अनु ही अरिपन का फल पायै l वैसेई चित के मेरे चित र चुरावती है। घालता है। पैसियै मधुर सृषु प्रानि से ।