पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/८३

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प्तिा-कस] पूलिंकृत शरण । । रेरी कपील में गैरी मलै हँसे । नारि सके नवल कारी। दाङ, समाज सुमत्त महा सुन्न । सालमनी हिय छाय रहारी ॥ इस समय के अन्य कवि गण । नमि--(३६३) गरीबदास । मन्यु- अध्यात्मवेधि। रचनाकाल-१७७ ।। नाम-(३६४) रियरलाल्ड चैसवाड़ा । रचना-काल-१६२७ । नाम-(३६५) गबन कारण ! प्रन्थ-डया पद्मसिंध जारी। रखनाफाल–१७०७ । विचरण--- रावानी भाप में चना की है। नाम-३६६) गैमीर राय। रचनाफल-१७६७।। विवरण-भऊ पाहै गिनसिंह शाइजह से ते थे। इसका अर्थन किया है। नाम (३६७) घाँपाएँ रानी जैसलमेर चीकानेर। रचनाका–७ । बर–महारानी पीकानेर रावल दरराज जैसलमेर पानी की पुर्वी यौ।